साउथ से कंपनी के जॉन ब्लंट को "पब्लिक क्रेडिट को अभूतपूर्व ऊंचाई पर ले जाने के लिए उनकी असाधारण सेवाओं" के लिए बैरोनेट की उपाधि दी गयी. यह कुछ इसी तरह था जैसे हर्षद मेहता को जनता की बचत को पूँजी बाजार में में लाने के लिए 'पद्म पुरस्कार' दिया गया हो. (१९९२ में घरेलु बचत का २४ प्रतिशत हिस्सा शेयरों, म्यूच्यूअल फंडों, एवं डिबेंचरों में लगाया गया, जो उस समय सर्वोच्च अनुपात था)
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